मदर टेरेसा की जीवनी:
Mother Teresa एसी महिला है कि जो अपने जीवन काल के दौरान बेसारा लोगों को मदद करने लिए उनके जीवन के लक्ष्य थे और उनके मृत्यु कलकत्ता में होई थी। 1979 Novel peace prize मिला था,उनकी मृत्यु के बाद सेंट टेरेसा के रूप में उनका सम्मान किया गया। इस Post में Mother Teresaके जीवन परिचय और उनके सम्मान और समाज सेवा के बारे में जानकारी मिलेगा।Mother Teresa Biography in Hindi
Mother Teresa ki pura name aur janm mirtyo?
मदर टेरेसा का पूरा नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था । अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है ।उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को ‘यूगोस्लाविया’ में हुआ था और 5 सितम्बर, 1997 को उनकी मृत्यु हो गई ।
Mother Teresa ki family….
मदर टेरेसा के पिताजी का नाम निकोला बोयाजू और माताजी का नाम द्राना बोयाजू था|अगनेस के पिताजी का निधन उनके बचपन में हो गया था | इनका पालन-पोषण इनकी माताजी द्वारा किया गया था। मदर टेरेसा पांच भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थी और उनके जन्म के समय उनकी बड़ी बहन की आयु सात वर्ष और भाई की आयु दो वर्ष थी | गोंझा एक सुन्दर जीवंत, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं । मदर टेरेसा एक ईसाई परिवार में पैदा हुई थी और उसे धार्मिक गतिविधियों में बहुत रुचि थी।
Mother Teresa ki padhai
मदर टेरेसा के उम्र आठ बष्र मे पिताजी का निधन हो गया था । उनके पिताजी के निधन होने के बाद 18 साल की उम्र में, उसने अपना गृह नगर छोड़ दिया और लोरेटो सिस्टर्स के साथ जुड़ गई- जो आयरलैंड के रथफर्नम में आयरिश नन थीं। उन्होंने डबलिन और दार्जिलिंग में प्रशिक्षण प्राप्त किया और वर्ष 1928 में अपना पहला धार्मिक व्रत लिया। पढ़ना, गीत गाना वह विशेष पसंद करती थी । वह और उनकी बहन गिरजाघर में प्रार्थना की मुख्य गायिका थी । गोंझा को एक नया नाम ‘सिस्टर टेरेसा’ दिया गया जो इस बात का संकेत था, कि वह एक नया जीवन शुरू करने जा रही हैं ।
Mother Teresa ki सम्मान और समाज सेवा.
ऐसा माना जाता है की जब वह मात्र बारह साल की थीं तभी उन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी और 18 साल की उम्र में उन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया। तत्पश्चात वह आयरलैंड गयीं जहाँ उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं।1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की जीवनपर्यांत मदद करने का मन बना लिया। इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के होली फॅमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं और वहां से पहली बार तालतला गई, जहां वह गरीब बुजुर्गो की दे ftखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं। उन्होंने मरीजों के घावों को धोया, उनकी मरहमपट्टी की और उनको दवाइयां दीं।इन लोगों में देश के उच्च अधिकारी और भारत के प्रधानमंत्री भी शामिल थे, जिन्होंने उनके कार्यों की सराहना की।मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले । मदर तेरस ने नोबेल पुरस्कार की 192,000 डॉलर की धन-राशि को गरीबों के लिए एक फंड के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्णय लिया।संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें वर्ष 1985 में मेडल आफ़ फ्रीडम 1985 से नवाजा।
Mother Teresa quotes in Hindi
[su_quote]छोटी-छोटी बातों में विश्वासयोग्य बनें क्योंकि यह उनमें है कि आपकी ताकत निहित है।[/su_quote]
[su_quote]हर जगह प्यार फैलाओ तुम जाओ। कोई भी व्यक्ति कभी भी खुश रहने के बिना आपके पास नहीं आता है।[/su_quote]
[su_quote]हम खुद महसूस करते हैं कि हम जो कर रहे हैं, वह सिर्फ सागर में गिरने वाली बूंद है। लेकिन उस लुप्त बूंद के कारण महासागर कम होंगे।[/su_quote]
[su_quote]हम सभी लोग महान काम नहीं कर सकते। लेकिन हम छोटे काम बड़े प्यार से कर सकते हैं।[/su_quote]
[su_quote]कल चला गया है। कल अभी नहीं आया है। हमारे पास आज ही है। चलो शुरू करें।[/su_quote]
[su_quote]यदि आप सौ लोगों को नहीं खिला सकते हैं, तो सिर्फ एक को खिलाएं।[/su_quote]
[su_quote]दया और प्रेम भरे शब्द छोटे हो सकते हैं लेकिन वास्तव में उनकी गूँज अन्नत होती है।[/su_quote]
[su_quote]खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते। लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं।[/su_quote]
[su_quote]हम सभी ईश्वर के हाथ में एक कलम के सामान है।[/su_quote]
[su_quote]प्रेम की भूख को मिटाना, रोटी की भूख मिटाने से कहीं ज्यादा मुश्किल है[/su_quote]
अंत में:
तो दोस्तो यह थी मदर टेरेसा की जीवन परिचय और उनके समाज सेबा, सम्मान के बारे में पूरी जानकारी। आशा करता हूं आपको यह पोस्ट पसंद आया है।
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