क्या आत्माओं को देखना संभव है?आत्माओं के बारे में कुछ जानकारी जो आपको कर देंगी हैरान। क्या है आत्माएं? आत्माएं अच्छी होती हैं या बुरी?
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका Knowledge finder के नए Post पर उम्मीद है आप लोग बहुत अच्छे होंगे, आज हम आपको बताने वाले हैं आत्मा क्या होता है आत्मा के बारे में कुछ आश्चर्यजनक बातें वाले हैं तो बने रहे हमारे साथ तो चलिए देखते हैं क्या होती है आत्माएं और आत्माएं अच्छी होती है या बुरी।
गीता में ऐसा लिखा हुआ है कि ना तो यह शरीर तुम्हारा है और ना ही इस शरीर के हो तुम यह शरीर पांच तत्वों से बना है अग्नि जल वायु पृथ्वी और आकाश एक दिन यह शरीर इन्हीं पांच तत्वों में विलीन हो जाएगा।
वेद पुराण और गीता के अनुसार आत्मा अजर है अमर है। आत्मा एक शरीर त्याग कर दूसरा शरीर अपनाता है। आत्मा का यह जीवन चक्र तब तक चलता रहता है जब तक उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो जाती है, प्रत्येक व्यक्ति पशु पक्षी जीव जंतु आदि सभी आत्माएं हैं खुद को यह समझना कि मैं शरीर नहीं आत्मा हूं यह आत्म ज्ञान के मार्ग पर रखा गया पहला कदम है।
आत्माओं के कितने स्वरूप हैं?
आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं जीवात्मा प्रेतात्मा और सुष्मात्मा जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं अब आत्मा जब सूक्ष्म शरीर में प्रवेश करता है तब उसे सुष्मात्मा कहते हैं।
क्या आत्माओं को देखना संभव है?
आत्मा को देखना संभव नहीं है इसके लिए ईश्वर की हमारे ऊपर असीम कृपा और सूक्ष्म दृष्टि चाहिए आत्माओं के अंदर पृथ्वी तत्व नहीं होता और वायु के समान गमनशील होती हैं सामान्य रूप से आत्मा का अनुभव होने पर सुगंध का अनुभव होता है या कोई गंदगी का अनुभव होता है।
आत्माएं अच्छी होती है या बुरी?
आत्माएं अच्छी या बुरी नहीं होती है इनके साथ जुड़े हुए संस्कार या जुड़ा हुआ हादसा उन्हें अच्छा या बुरा बनाता है बुरे संस्कार होने से आत्माओं का प्रयोग किया जा सकता है और यह प्रयोग आमतौर पर अविधा तांत्रिक करते हैं। अक्सर उन आत्माओं से जुड़ी घटनाएं उन्हें अच्छी या बुरी बना देती हैं।
मृत्यु और मोक्ष में क्या फर्क है?
जब आत्मा परमात्मा से मिलती है तो उसकी जीवन यात्रा पूर्ण हो जाती है शरीर का जब अस्तित्व मिट जाता है तो उसे मृत्यु कहते हैं उसी प्रकार जब एक स्वतंत्र आत्मा का अस्तित्व मिट जाता है तो उसे मोक्ष कहते हैं मोक्ष की प्राप्ति के रास्ते में आत्मा कई शरीरों को बदलती है जब यह आत्मा रूपी प्रकाश पूंजी कई अन्य से गुजरते हुए मनुष्य योनि में आती है तब इसे अपना आध्यात्मिक यात्रा के शुरू होने का पता चलता है इसके पूर्व यह स्वतंत्र आत्मा इतनी विकसित नहीं होती है कि वह समझ सके कि वह एक आध्यात्मिक यात्रा पर है और उसे वापस परम ब्रह्म प्रकाश से मिलना है मनुष्य योनि में भी आत्मा को कई शरीर लग जाते हैं यह समझने में कि वह एक प्रकाश पुंज है जोकि परम प्रकाश पुंज का अंश है।
आत्मा और शरीर में क्या फर्क है?
आत्मा एक सूचना सत्ता है जो आंखों से नहीं देखी जा सकती हैं इसे अनुभव किया जा सकता है जबकि शरीर एक मांस और हड्डियों का ढांचा है आत्मा का कभी नाश नहीं होता है जबकि शरीर एक नश्वर सकता है इस बात को समझने की जरूरत है कि शरीर में जीवन सिर्फ आत्मा से आता है बगैर आत्मा के शरीर कुछ भी नहीं है जब एक व्यक्ति की मृत्यु होती है तब शरीर से आत्मा निकल जाती हैं शरीर से सूक्ष्म सत्ता यानी आत्मा का निकलना ही मृत्यु कहलाता है।
आत्मा के बारे में आप यह पांच बातें जानकर हो जाओगे हैरान-
1- हर जीवित व्यक्ति के अंदर आत्मा मौजूद होती है जैसे ही यह शरीर से निकल जाती है शरीर निर्जीव हो जाता है यानि कि उसकी मृत्यु हो जाती है उसके शरीर से उसकी आत्मा निकल जाती है जिसके चले जाने से शरीर जीव विहीन हो जाता है शरीर से जुड़े सारे नाते रिश्ते सब खत्म हो जाते हैं गीता में भी श्री कृष्ण कहते हैं मैं हर व्यक्ति में आत्म स्वरूप में मौजूद हूं यानी यह आत्मा ईश्वर का स्वरूप है।
2- गीता में श्रीकृष्ण ने आत्मा को अमर और अविनाशी बताया है जिसे ना ही मार सकते हैं जिससे नहीं पानी से गला सकती है अग्नि इसे जला नहीं सकती वायु इसे रोक नहीं सकती यह तो ऐसा जीव है जो व्यक्ति के कर्म फल के अनुसार एक शरीर से दूसरे शरीर में भटकता रहता है दरअसल आत्मा एक ऐसा रहस्य है जिसके रस जितना सुलझाया जाए उतना ही ज्यादा नहीं ज्यादा व उलझता जाता है फिर भी इसे जानने की इच्छा मन ही मन में बनी रहती है।
Yeh bhi padhe-
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कालाम जीवनी – Biography of A. P. J. Abdul Kalam in Hindi
- स्वामी विवेकानंद की जीवन कथा|Swami Vivekananda Biography in Hindi
- फेसबुक पर लाइव कैसे जाये? फेसबुक पर लाइव वीडियो शेयर कैसे करे ?
3- कठोपनिषद पोयम गरुड़ पुराण में बताया गया है कि आत्मा अंगूठे के आकार का होता है गरुड़ पुराण में तो इस अंगूठे के आकार के जीव आत्मा को ही कर्म फल को भोगने वाला बताया गया है।
4- आत्मा कुछ भी नहीं केवल एक प्रकाश पुंज है जो सूक्ष्म शरीर के रूप में जीवित व्यक्तियों के अंदर वास करती हैं सूक्ष्म शरीर के कान आंख मुक्त तथा हाथ पैर नहीं होते हैं फिर भी वह देख सकते हैं सुन सकते हैं बोल सकते हैं स्पर्श कर सकते हैं।
5- आत्मा के रूप रंग को लेकर उसे ऋषि-मुनियों ने कई शोध किए हैं जिससे यह अनुमान लगाया गया है कि आत्मा का रंग नीला आसमानी है आधुनिक समय में भी इस विषय पर काफी शोध होते रहे हैं वर्तमान में भी आत्मा के रंग को लेकर शोध हो रहे है।
6- मृत्यु के समय आत्मा अपने कर्मों को समेट कर अपनी अधूरी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए अन्य शरीर की खोज में चल लेती है और कर्मों के अनुसार ही आत्मा को नया शरीर कर्म फल भोगने के लिए प्राप्त हो जाता है।
इस ब्लॉग के लेटेस्ट पोस्ट की नोटिफिकेशन पाने के लिए फेसबुक पेज लाइक, ब्लॉग के बेल्ल आइकॉन सब्सक्राइब करना न भूले। नॉलेज फाइंडर ब्लॉग विजिट करने के लिए और लिख पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।