यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक जंगल के किनारे एक सांप और एक नेवला रहते थे। दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता था, जो कभी दुश्मनी का था, पर समय के साथ यह मित्रता में बदल गया।
सांप का नाम था काल, और नेवला का नाम था शेरू। काल एक विशाल, डरावना और जहर से भरा हुआ सांप था। उसकी खौफनाक आँखें और ताकतवर फन सभी जानवरों को डराते थे। दूसरी ओर, शेरू एक छोटा, चालाक और साहसी नेवला था। वह अपनी तेज़ी और सूझबूझ के लिए जाना जाता था। दोनों की मुलाकात एक दिन तब हुई, जब शेरू जंगल में अपने कामों में व्यस्त था और काल ने उसे देखा।
कभी-कभी, शेरू ने काल को तंग किया था, लेकिन वह उसे सीधे तौर पर कभी चुनौती नहीं देता था। एक दिन, शेरू ने काल को अपने जाल में फंसा हुआ देखा। काल किसी वजह से एक शिकारी के फंदे में फंस चुका था और अब वह भाग नहीं पा रहा था। शेरू ने देखा कि काल इस स्थिति में आकर उसे मारने के बजाय, मदद की ज़रूरत थी। शेरू का दिल बड़ा था, और उसने काल की मदद करने का निर्णय लिया।
शेरू ने अपनी तेज़ सोच से शिकारी का जाल तोड़ा और काल को मुक्त कर दिया। काल हैरान था, क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि उसका शत्रु उसे बचा सकता है। वह शेरू का आभारी था, और दोनों के बीच पहली बार एक अजीब सी शांति का अहसास हुआ। शेरू ने काल से कहा, “हमारे बीच कभी भी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए। एक दूसरे की मदद करना ही असली ताकत है।”
काल ने शेरू की बात मानी और दोनों ने मिलकर जंगल में शांति बनाए रखने का संकल्प लिया। समय के साथ, वे अच्छे मित्र बन गए। शेरू ने काल को समझाया कि डर और हिंसा से कुछ नहीं हासिल होता, और केवल दोस्ती और सहयोग से ही हम जीवन में सफलता पा सकते हैं।
कभी-कभी, सांप और नेवले की लड़ाई का उदाहरण दिया जाता है, लेकिन इस कहानी में, यह दिखाया गया कि असली ताकत हमारी समझ और सहयोग में होती है। काल और शेरू ने एक-दूसरे से सीखा कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम एक-दूसरे की मदद करें और एकजुट रहें।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी जो लोग हमारे शत्रु लगते हैं, वे भी हमारी मदद करने के लिए तैयार हो सकते हैं। और, दुश्मनी की बजाय, दोस्ती और समझ से हम बड़ी से बड़ी समस्याओं को हल कर सकते हैं।